लोक पक्ष. द्वारका, 13 जून। चक्रवाती तूफान 'वायु' के चलते प्राचीन और विश्वविख्यात द्वारिकाधीश मंदिर के ऊपर इतिहास में संभवत: पहली बार दो ध्वज लगाए गए हैं। हिन्द महासागर के तट पर स्थित मंदिर के शिखर पर प्रशासन और प्रबंधन के निर्देश पर यह दो ध्वज इसलिए लगाए गए हैं ताकि वायु तूफान के असर से चल रही बेहद तेज हवा के कारण अगर एक ध्वज को नुकसान भी पहुंचे तो दूसरा लहराता रहे। मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा दृश्य देखा है, जब शिखर पर दो ध्वज लहरा रहे हैं।
तूफान के चलते समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं और 70 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं बह रही हैं। जैसे-जैसे तूफान और निकट आएगा यह रफ्तार और बढ़ सकती है। तूफान की वजह से सोमनाथ मंदिर के 155 फीट ऊंचे शिखर तक समंदर की लहरें उछल कर आ रही हैं जिसके चलते मंदिर का प्रवेश द्वार भी टूट गया है। गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने बताया कि तूफान को देखते हुए यहां हाई अलर्ट जारी किया गया था, लेकिन मंदिर को बंद नहीं किया गया है। दरअसल यहां कई सालों से लगातार आरती हो रही है और इस नियम को मंदिर प्रबंधन तोड़ना नहीं चाहता।
भूपेंद्र सिंह के मुताबिक बाबा सोमनाथ इस कुदरती विपदा से निपटेंगे, चाहे चक्रवाती तूफान कितना ही विकराल रूप क्यों न ले ले। उन्होंने कहा कि 'ये कुदरती आफत है, और इसे कुदरत ही रोक सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा सोमनाथ मंदिर में जिस तरह वर्षों से आरती होती आ रही है, उसी तरह गुरुवार को भी आरती की जाएगी। इसमें किसी तरह का कोई विघ्न या विलंब नहीं होगा।